युनाइटेड भारत के पिछले दिनों के अंक में एक खबर जान बूझकर नहीं छापी है. युनाइटेड कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (UCER) के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफेसर मनीष श्रीवास्तव की 24 सितम्बर की शाम कालेज से पढ़ाकर लौटते समय कालेज के बस से ही कुचल कर रास्ते में मौत हो गई. इलाहाबाद के लगभग सभी न्यूज पेपर ने दो या तीन कॉलम की स्टोरी फोटो के साथ लगाई है.
आप अमर उजाला, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, आई-नेक्स्ट के इंटरनेट एडिशन देखकर कनफर्म कर सकते हैं. पर युनाइटेड भारत ने जिनका ये इंस्टीट्यूट है पूरी खबर दबा दी. कुछ नहीं छापा. क्या ये पत्रकारिता है. ये बात मन को बहुत कचोट रही है. सोचा आपसे शेयर कर लूं. हो सके तो भड़ास में इसे स्थान दे दीजिएगा.
और ये कोई पहली बार नहीं है, अभी करीब एक-दो महीने पहले युनाइटेड कालेज के स्टूडेंट्स द्वारा कालेज मैनेजमेंट की एट्रोसिटीज, जिसमें एक लड़के की मौत हो गई थी, के खिलाफ चार दिनों तक खूब जाम कर हंगामा हुआ. तोड़फोड़ हुई. कई सरकारी, गैर-सरकारी वाहनों को फूंक डाला गया. 15 दिनों तक कालेज बंद रहा. 12-15 स्टूडेंट्स सस्पेंड हुए. नेशनल लेवल की न्यूज बनी. टीवी न्यूज, पेपर रंग गए पर क्या मजाल की युनाइटेड भारत में एक लाइन लिखी गई हो. क्या ये पत्रकारिता है.
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