शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

अजय राय अब अमर उजाला इलाहाबाद में

अमर उजाला, वाराणसी से खबर है कि सीनियर सब एडिटर अजय राय का तबादला इलाहाबाद के लिए कर दिया गया है. वे काफी समय से वाराणसी में अमर उजाला को अपनी सेवाएं दे रहे थे. अजय के बारे में बताया जा रहा है कि कंपनी के चेयरमैन राजुल माहेश्‍वरी से अकेले में बात करना उनके लिए भारी पड़ गया है. सूत्रों ने बताया कि राजुल माहेश्‍वरी के वाराणसी दौरे के समय अजय राय ने उनसे अकेले में बात करने की इच्‍छा जाहिर की थी, जो वरिष्‍ठों को काफी नागवार गुजरी थी. इसके बाद से अजय राय को परेशान किया जाने लगा था. उन्‍हें दो बार मेमो भी दिया गया था.

अजय राय ने बारह साल पहले आगरा में अमर उजाला ज्‍वाइन किया था. इसके बाद उनका तबादला वाराणसी के लिए कर दिया गया था. एक साल तक वे अखबार के गाजीपुर के ब्‍यूरोचीफ भी रहे. इसके पहले अमृत प्रभात को भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

लखनऊ से शीघ्र छपने वाले बीस पेजी रंगीन हिंदी दैनिक को स्टाफ चाहिए

.जरूरत है... : एक हिन्दी दैनिक को स्टाफ की. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से शीघ्र ही अपने प्रिंटिंग सेटअप पर प्रकाशित होने वाले बीस पेज के रंगीन हिंदी दैनिक समाचार पत्र के लिए निम्न पदों पर योग्य उम्मीदवारों की आवश्यकता है -

-समाचार संपादक, उप समाचार संपादक, मुख्य उप संपादक, वरिष्ठ उप संपादक, उप संपादक, ट्रेनी उप संपादक, राज्य मुख्यालय पर ब्यूरो एवं लोकल रिपोर्टरों सहित प्रदेश के समस्त जनपदों में अनुभवी जिला संवाददाताओं की.

-मार्केटिंग, प्रचार-प्रसार एवं प्रोडक्शन के विभिन्न पदों पर अनुभवी एवं उत्साहित फ्रेशर लोगों की.

-कंप्यूटर आपरेटर, जो पेजीनेशन भी कर सकें.

-प्रदेश के सभी जिलों, तहसीलों, ब्लाकों और कस्बों के स्तर पर एजेंटों की.

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फ्रांस में पहली बार मनाया गया हिंदी दिवस

फ्रांस शासित बेहद खूबसूरत रीयूनियन द्वीप में पहली बार हिंदी की पताका पहुंची है. यहाँ पर भारतीय मूल के लोगों की लगभग 225000 आबादी है. जिनमें तमिल व गुजराती मूल के भारतवंशी प्रमुख रूप से सम्मिलित है. यहां भाषाई विभिन्नता न हो कर सभी लोग फ्रेंच अथवा क्रियोल ही बोलते है. अंग्रेजी नाममात्र की भी प्रयोग नहीं होती है. यहां हिंदी का रास्ता गुजराती मूल के भारतवंशियों में सम्मिलित मुस्लिम व सुनार समुदाय में बची भाषाए उर्दू व गुजराती के बीच से निकलता है.

यहां की राजधानी सेंट डेनिस के आंदी विला में यह बहुत ही रोमांचकारी पल थे जब हिंदी दिवस समारोह में सम्मिलित होने के लिए लगभग 400 ऐसे लोग एकत्रित थे, जिनमें से कुछ तमिल जानते थे, कुछ उर्दू, कुछ गुजराती, कुछ अंग्रेजी और सभी फ्रेंच. कार्यक्रम का शुभारम्भ फ्रांस एवं भारत के राष्ट्रगीत जन-गण-मन... से हुआ. मंच पर मुख्य अतिथि काउन्सल जीनों, विशिष्ट अतिथि राकेश पाण्डेय (संपादक प्रवासी संसार, भारत) भारतीय कौंसलावास के अधिकारी महाबीर रावत, आयोजक रजनीकांत जगजीवन (अध्यक्ष, एनआरआई रीयूनियन) आंदी व उमेश कुमार थे. कुछ श्रोताओं द्वारा हिंदी बिल्कुल ही न समझने के कारण, भाषणों को हिंदी से फ्रेंच में अनुवाद की व्यवस्था की गई और यह कार्य उमेश कुमार ने किया.

भारत से पधारे राकेश पाण्डेय ने कहा कि जैसे अंग्रेजों की प्रतिनिधि भाषा अंग्रेजी है, आपके फ्रांस की प्रतिनिधि भाषा फ्रेंच है, ऐसे ही हमारे भारत में अनेक बोलियां-भाषाएं होते हुए भी हमारी भाषाई पहचान हिंदी ही है. यहां आप सभी भारत की भाषाई पहचान हिंदी के महत्व को रेखांकित करने के लिए एकत्रित हुए हैं. आप सभी को बधाई. साथ ही विदेशों में हिंदी की स्थिति पर प्रकाश डाला. इसके बाद भारतीय कौंसलावास का प्रतिनिधित्व करते हुए महाबीर रावत ने हिंदी के भारत में संवैधानिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्थानीय लोगों को रीयूनियन में हिंदी प्रचार–प्रसार के लिए पुस्तकें व अन्य सहायता का आश्वासन दिया कि भारतीय कौंसलावास उनके साथ है, साथ ही राकेश पाण्डेय एवं रजनीकांत के इस प्रयास को भी सराहा जिसके कारण यहां रीयूनियन में हिंदी दिवस संभव हुआ.

मुख्य अतिथि जीनों ने हिंदी दिवस के आयोजन की शुरुआत को महत्वपूर्ण बताया और आगे प्रतिवर्ष किये जाने का संकल्पना को मूर्तरूप देने की बात कही. कार्यक्रम के दूसरे चरण में वहां भारतीय मूल की युवतियों ने भारतीय परिधानों का फैशन शो आयोजित किया. कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों के लिए भारतीय मिठाइयां जैसे जलेबी, पेड़ा, गुझिया व अन्य मिठाइयां पारोसी गईं. पेड़े को तो भारतीय ध्वज के अनुरूप सजाया गया था. वहां के लोकप्रिय डॉक्टर दर्शन सिंह ने अगली बार और भव्य तरीके से हिंदी दिवस मनाने की बात कही. निजी मुलाकात में सेंट लुई के मेयर क्लाउदे होराऊ की ओर से उनके सांस्कृतिक प्रबंधक एवं कवि सुली ने अगले वर्ष उनके यहां हिंदी दिवस आयोजन का प्रस्ताव भी दिया.