दैनिक जागरण, आगरा से खबर है कि यहां पर आई कार्ड बनाने के लिए सौ-सौ रुपये वसूले गए. पर जागरण में हुई इस बनियागिरी में मैनेजमेंट का कोई हाथ नहीं है बल्कि संपादकीय प्रभारी आनंद शर्मा ने सौ-सौ रुपये वसूल कर एडिटोरियल के लोगों के लिए बढि़या प्लास्टिक कोटेड आईकार्ड जारी करवाया. बताया जा रहा है कि रिपोर्टर और कवरेज करने वाले पत्रकारों ने संपादकीय प्रभारी आनंद शर्मा से कार्ड के बिना आने वाली दिक्कतों की बात बताई थी, जिसके बाद यह वसूली हुई.
हालांकि आनंद शर्मा की मंशा गलत नहीं रही बल्कि उन्होंने पत्रकारों की परेशानी देखते हुए कहा कि आई कार्ड तो बन जाएगा पर इसके लिए आप लोगों को ही सौ-सौ रुपये देने पड़ेंगे. सौ रुपया देना भी कोई बड़ी बात नहीं है. पर आनंद शर्मा का मैनेजमेंट के सामने दब्बूपन जरूर उनके पत्रकारों को अखर गया. आनंद शर्मा चाहते तो इस संदर्भ में मैनेजमेंट से बात कर सकते थे, कर्मचारियों को होने वाली परेशानियों को बता सकते थे और कंपनी की ओर से ही आई कार्ड जारी करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्योंकि इसमें प्रबंधन का कुछ हजार खर्च हो जाता.
वैसे भी बनियागिरी के बारे में कुख्यात जागरण प्रबंधन की नजर में अपना अंक बढ़ाने या कहिए कम होने की दिक्कतों के चलते आनंद शर्मा ने पत्रकारों से ही आई कार्ड के लिए पैसे वसूल लिए. वैसे भी किसी कारपोरेट अखबार या चैनल कार्यालय में आई कार्ड के लिए पैसा नहीं लिया जाता है, पर दैनिक जागरण, आगरा ने इस मामले में मिसाल कायम किया है. वैसे भी कर्मचारी बताते हैं कि आनंद शर्मा मैनेजमेंट के इतने बड़े भक्त हैं कि वहां से कोई फरमान जारी नहीं हुआ कि उसका इम्प्लीमेंटेंशन कराने के लिए दो कदम आगे बढ़कर ही तत्पर हो जाते हैं. हालांकि अपना पैसा खर्च करने के बावजूद बढि़या आई कार्ड मिलने से पत्रकार खुश हैं.
सूत्र बताते हैं कि इतनी कोशिशों के बाद भी पूर्व डीएनई विनोद भारद्वाज प्रकरण में प्रबंधन की नजर में इनके अंक कम हो गए हैं. विनोद भारद्वाज द्वारा कुछ लोगों पर मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद प्रबंधन आंतरिक तौर पर इनसे कुपित है. मामला अभी भले ही सीधा जागरण के किसी भी व्यक्ति से ना जुड़ा हो पर विनोद भारद्वाज का आरोप किस पर है यह सभी को पता है. इसलिए आजकल संपादकीय प्रभारी खुद परेशान हैं और इसी परेशानी में उन्होंने सौ-सौ रुपये वसूली का अभियान भी चला दिया, जिससे सहयोगी इसे प्रबंधन के सामने सरेंडर कर देने जैसी स्थिति मान रहे हैं. गौरतलब है कि दैनिक जागरण आगरा में पत्रकारों से पानी पीने के पैसे भी वसूल चुका है.
हालांकि आनंद शर्मा की मंशा गलत नहीं रही बल्कि उन्होंने पत्रकारों की परेशानी देखते हुए कहा कि आई कार्ड तो बन जाएगा पर इसके लिए आप लोगों को ही सौ-सौ रुपये देने पड़ेंगे. सौ रुपया देना भी कोई बड़ी बात नहीं है. पर आनंद शर्मा का मैनेजमेंट के सामने दब्बूपन जरूर उनके पत्रकारों को अखर गया. आनंद शर्मा चाहते तो इस संदर्भ में मैनेजमेंट से बात कर सकते थे, कर्मचारियों को होने वाली परेशानियों को बता सकते थे और कंपनी की ओर से ही आई कार्ड जारी करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्योंकि इसमें प्रबंधन का कुछ हजार खर्च हो जाता.
वैसे भी बनियागिरी के बारे में कुख्यात जागरण प्रबंधन की नजर में अपना अंक बढ़ाने या कहिए कम होने की दिक्कतों के चलते आनंद शर्मा ने पत्रकारों से ही आई कार्ड के लिए पैसे वसूल लिए. वैसे भी किसी कारपोरेट अखबार या चैनल कार्यालय में आई कार्ड के लिए पैसा नहीं लिया जाता है, पर दैनिक जागरण, आगरा ने इस मामले में मिसाल कायम किया है. वैसे भी कर्मचारी बताते हैं कि आनंद शर्मा मैनेजमेंट के इतने बड़े भक्त हैं कि वहां से कोई फरमान जारी नहीं हुआ कि उसका इम्प्लीमेंटेंशन कराने के लिए दो कदम आगे बढ़कर ही तत्पर हो जाते हैं. हालांकि अपना पैसा खर्च करने के बावजूद बढि़या आई कार्ड मिलने से पत्रकार खुश हैं.
सूत्र बताते हैं कि इतनी कोशिशों के बाद भी पूर्व डीएनई विनोद भारद्वाज प्रकरण में प्रबंधन की नजर में इनके अंक कम हो गए हैं. विनोद भारद्वाज द्वारा कुछ लोगों पर मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद प्रबंधन आंतरिक तौर पर इनसे कुपित है. मामला अभी भले ही सीधा जागरण के किसी भी व्यक्ति से ना जुड़ा हो पर विनोद भारद्वाज का आरोप किस पर है यह सभी को पता है. इसलिए आजकल संपादकीय प्रभारी खुद परेशान हैं और इसी परेशानी में उन्होंने सौ-सौ रुपये वसूली का अभियान भी चला दिया, जिससे सहयोगी इसे प्रबंधन के सामने सरेंडर कर देने जैसी स्थिति मान रहे हैं. गौरतलब है कि दैनिक जागरण आगरा में पत्रकारों से पानी पीने के पैसे भी वसूल चुका है.