रवि प्रकाश का आई-नेक्स्ट पटना से सम्बन्ध टूट गया है. रवि प्रकाश तेजतर्रार पत्रकार माने जाते हैं. काफी कम समय में ही उन्होंने अपनी क्षमताओं का डंका भी बजा दिया. नेपाल के शाही हत्याकांड ने उन्हें हिंदी पत्रकारिता में चर्चित नाम बना दिया. काफी कम उम्र में अपनी पत्रकारीय कुशलताओं के चलते वो संपादक भी बन बैठे. रवि प्रकाश पिछड़ों की आवाज माने जाते हैं. पत्रकारिता में भी उन्होंने समाज में हाशिए पर चल रहे लोगों के लिए अपनी आवाज बुलंद की. रवि प्रकाश की आई नेक्स्ट के साथ यह दूसरी पारी थी. इससे पहले वो प्रभात खबर देवघर के संपादक, डीबी स्टार रांची के प्रभारी भी रह चुके हैं. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल आखिर क्यों गए रवि प्रकाश?
रवि प्रकाश को जानने वालों के अनुसार रवि प्रकाश के स्वभाव में आक्रामकता है, व्याकुलता है. और है छटपटाहट. आक्रामकता है अपने पत्रकारीय कुशलताओं का. व्याकुलता है सिस्टम में चल रही गड़बड़ियों के कारण और छटपटाहट है पिछड़ों की आवाज सत्ता तक पहुँचाने के लिए. और इन्हीं वजहों से रवि प्रकाश की पटना से विदाई हो गई. हालाँकि पहले यह खबर आई थी कि आई नेक्स्ट से उनके सम्बन्ध शर्मिष्ठा शर्मा की वजह से टूटे, लेकिन यह खबर गलत निकली. बल्कि हकीकत तो यह है कि रवि प्रकाश अपनी वजहों से अखबार से हटे या हटाये गए हैं. रवि प्रकाश ने बिहार के झूठे सत्ता तिलिस्म को तोड़ने की कोशिश की.
रवि प्रकाश ने बिहार के सत्तानशीनों को गरियाया, उसके झूठे मायाजाल को तोड़ा. रवि प्रकाश ने यह दिखाया कि बिहार की मरी हुई मीडिया जो दिखा, पढ़ा, सुना रही है, वो अंतिम सच नहीं है. कहते हैं बिहार की मिट्टी में बड़ी ताकत है. सच की ताकत. लेकिन यह ताकत कहीं खो गई है शायद. अब बिहार के पत्रकार गरजते नहीं हैं. शायद उनकी लेखनी की स्याही सूख गई है या उनकी लेखनी की धार को कुंद कर दिया गया है. अब बिहार चमक रहा है. अब आप बिहार का अखबार पढेंगे तो आपको दिखेगा एक सुंदर बिहार. हालाँकि सच इससे कोसों दूर है. अंदरखाने से आ रही ख़बरों के अनुसार ब्रांडिंग-मार्केटिंग के आदमी आलोक सावंल तेजतर्रार पत्रकार रवि प्रकाश की सत्ता से चल रही नैतिक लड़ाई, सरोकार वाली लड़ाई से नाराज चल रहे थे और इसी कारण आलोक सांवल ने रवि प्रकाश की आई नेक्स्ट से छुट्टी करा दी.
रवि प्रकाश को जानने वालों के अनुसार रवि प्रकाश के स्वभाव में आक्रामकता है, व्याकुलता है. और है छटपटाहट. आक्रामकता है अपने पत्रकारीय कुशलताओं का. व्याकुलता है सिस्टम में चल रही गड़बड़ियों के कारण और छटपटाहट है पिछड़ों की आवाज सत्ता तक पहुँचाने के लिए. और इन्हीं वजहों से रवि प्रकाश की पटना से विदाई हो गई. हालाँकि पहले यह खबर आई थी कि आई नेक्स्ट से उनके सम्बन्ध शर्मिष्ठा शर्मा की वजह से टूटे, लेकिन यह खबर गलत निकली. बल्कि हकीकत तो यह है कि रवि प्रकाश अपनी वजहों से अखबार से हटे या हटाये गए हैं. रवि प्रकाश ने बिहार के झूठे सत्ता तिलिस्म को तोड़ने की कोशिश की.
रवि प्रकाश ने बिहार के सत्तानशीनों को गरियाया, उसके झूठे मायाजाल को तोड़ा. रवि प्रकाश ने यह दिखाया कि बिहार की मरी हुई मीडिया जो दिखा, पढ़ा, सुना रही है, वो अंतिम सच नहीं है. कहते हैं बिहार की मिट्टी में बड़ी ताकत है. सच की ताकत. लेकिन यह ताकत कहीं खो गई है शायद. अब बिहार के पत्रकार गरजते नहीं हैं. शायद उनकी लेखनी की स्याही सूख गई है या उनकी लेखनी की धार को कुंद कर दिया गया है. अब बिहार चमक रहा है. अब आप बिहार का अखबार पढेंगे तो आपको दिखेगा एक सुंदर बिहार. हालाँकि सच इससे कोसों दूर है. अंदरखाने से आ रही ख़बरों के अनुसार ब्रांडिंग-मार्केटिंग के आदमी आलोक सावंल तेजतर्रार पत्रकार रवि प्रकाश की सत्ता से चल रही नैतिक लड़ाई, सरोकार वाली लड़ाई से नाराज चल रहे थे और इसी कारण आलोक सांवल ने रवि प्रकाश की आई नेक्स्ट से छुट्टी करा दी.