गुरुवार, 19 जनवरी 2012

खबरे छापने पर नौकरी गई

रवि प्रकाश का आई-नेक्स्ट पटना से सम्बन्ध टूट गया है. रवि प्रकाश तेजतर्रार पत्रकार माने जाते हैं. काफी कम समय में ही उन्होंने अपनी क्षमताओं का डंका भी बजा दिया. नेपाल के शाही हत्याकांड ने उन्हें हिंदी पत्रकारिता में चर्चित नाम बना दिया. काफी कम उम्र में अपनी पत्रकारीय कुशलताओं के चलते वो संपादक भी बन बैठे. रवि प्रकाश पिछड़ों की आवाज माने जाते हैं. पत्रकारिता में भी उन्होंने समाज में हाशिए पर चल रहे लोगों के लिए अपनी आवाज बुलंद की. रवि प्रकाश की आई नेक्स्ट के साथ यह दूसरी पारी थी. इससे पहले वो प्रभात खबर देवघर के संपादक, डीबी स्टार रांची के प्रभारी भी रह चुके हैं. लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल आखिर क्यों गए रवि प्रकाश?

रवि प्रकाश को जानने वालों के अनुसार रवि प्रकाश के स्वभाव में आक्रामकता है, व्याकुलता है. और है छटपटाहट. आक्रामकता है अपने पत्रकारीय कुशलताओं का. व्याकुलता है सिस्टम में चल रही गड़बड़ियों के कारण और छटपटाहट है पिछड़ों की आवाज सत्ता तक पहुँचाने के लिए.  और इन्हीं वजहों से रवि प्रकाश की पटना से विदाई हो गई. हालाँकि पहले यह खबर आई थी कि आई नेक्स्ट से उनके सम्बन्ध शर्मिष्ठा शर्मा की वजह से टूटे, लेकिन यह खबर गलत निकली. बल्कि हकीकत तो यह है कि रवि प्रकाश अपनी वजहों से अखबार से हटे या हटाये गए हैं. रवि प्रकाश ने बिहार के झूठे सत्ता तिलिस्म को तोड़ने की कोशिश की.

रवि प्रकाश ने बिहार के सत्तानशीनों को गरियाया, उसके झूठे मायाजाल को तोड़ा. रवि प्रकाश ने यह दिखाया कि बिहार की मरी हुई मीडिया जो दिखा, पढ़ा, सुना रही है, वो अंतिम सच नहीं है. कहते हैं बिहार की मिट्टी में बड़ी ताकत है. सच की ताकत. लेकिन यह ताकत कहीं खो गई है शायद. अब बिहार के पत्रकार गरजते नहीं हैं. शायद उनकी लेखनी की स्याही सूख गई है या उनकी लेखनी की धार को कुंद कर दिया गया है. अब बिहार चमक रहा है. अब आप बिहार का अखबार पढेंगे तो आपको दिखेगा एक सुंदर बिहार. हालाँकि सच इससे कोसों दूर है. अंदरखाने से आ रही ख़बरों के अनुसार ब्रांडिंग-मार्केटिंग के आदमी आलोक सावंल तेजतर्रार पत्रकार रवि प्रकाश की सत्ता से चल रही नैतिक लड़ाई, सरोकार वाली लड़ाई से नाराज चल रहे थे और इसी कारण आलोक सांवल ने रवि प्रकाश की आई नेक्स्ट से छुट्टी करा दी.

काटजू ने पत्र लिखा

   : No. 13/97/11-12, January 18, 2012, The Chief Minister of Chhattisgarh, State Government of Chhattisgarh, Raipur.  The Chief Secretary, State Government of Chhattisgarh, Raipur. The Home Secretary, State Government of Chhattisgarh, Raipur. Dear Sir, I have received a large number of complaints/representations from Rajasthan Patrika Group of Newspapers about harassment to the mediapersons by the authorities of the State Government of Chhattisgarh. The Copies of these complaints are being enclosed.

It is the duty of the Press Council of India to ensure the freedom of the press vide Section 13 of the Press Council Act, 1978, and the Press has a fundamental right of free speech under Article 19(1) (a) of the Constitution. Obviously, the press cannot be free if journalists are harassed. If the allegations in these complaints are correct it is a serious matter.

Please, therefore, send your reply to these complaints to me preferably within two weeks of the receipt of this letter. I may mention that I sent a similar letter to the Chief Ministers of Maharashtra and Jammu and Kashmir when I heard of harassment to journalists in their States. I said in my letter that a journalist is only doing his duty, like a lawyer arguing a case. A lawyer who defends a criminal does not become a criminal. So also a journalist discharging his duties cannot be regarded as a person who has done a wrong act. He is only exercising his fundamental right under Article 19 (1) (a) of the Constitution.

With regards,

Yours faithfully,

(Markandey Katju)

सोमवार, 2 जनवरी 2012

इंटरनेट की दुनिया में हिंदी वालों के लिए कुछ उपयोगी लिंक


हिंदी फांट्स को कैसे यूनीकोड में और यूनीकोड फांट्स को कैसे दूसरे फांट्स में कनवर्ट करें... इसके लिए यहां क्लिक करें- 
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दिलीप अवस्थी दैनिक जागरण लखनऊ का नया संपादक


दैनिक जागरण वालों के लिए नया साल काफी धमाकेदार है. लखनऊ यूनिट में नया संपादक नियुक्त कर दिया गया है. लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार दिलीप अवस्थी को दैनिक जागरण, लखनऊ का नया संपादक बनाया गया है. अभी तक संपादक के रूप में काम देख रहे शशांक शेखर त्रिपाठी बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले वाले अंदाज में मोबाइल फोन बंद करके एकांतवास में चले गए हैं. विनोद शुक्ला के जीते जी उनके उत्तराधिकारी के रूप में दैनिक जागरण, लखनऊ में उन्हीं की पसंद से दैनिक हिंदुस्तान, वाराणसी के तत्कालीन संपादक शशांक शेखर त्रिपाठी को लाया गया था.