रविवार, 14 जून 2009

सुभाष चंद्रा ने देर से आने वालों को पकड़ा

जी ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा कल जी न्यूज आफिस में पहुंचे। सुबह नौ-सवा नौ बजे के करीब। वे औचक निरीक्षण के मूड में पहुंचे थे। न्यूज रूम से लेकर हर विभाग, सेक्शन में पहुंचे। हर जगह इक्का-दुक्का लोग मिले। सुबह की खुमारी पूरे आफिस पर तारी थी।
पूरा आफिस घूमने के बाद जी के मुखिया गेट पर पहुंचे और रजिस्टर सामने रखवाया। सबके आने का निर्धारित टाइम और कल के दिन पहुंचने का टाइम दर्ज कराया। ''चेयरमैन साहब आफिस में चेक कर रहे हैं'' टाइप की सूचना धड़ाधड़ जी कर्मियों तक पहुंचने लगी। क्या एडिटर और क्या आडिटर, सब एलर्ट। सब जी न्यूज आफिस की ओर दौड़े। सूत्रों का कहना है कि रात की शिफ्ट को सुबह रिलीव करने के लिए जो लोग आते हैं, उनमें ज्यादातर देर से पहुंचते हैं। ये सभी लोग चेयरमैन के औचक निरीक्षण में पकड़े गए। इनके अलावा कई ऐसे लोग भी फंसे जो पहली बार देर से आए। सभी विभागों के देर से आने वाले कर्मियों को मौखिक हिदायत दी गई है कि वे आगे से इस तरह की गलती न करें और आफिस समय से आएं। बाद में सभी कर्मियों के लिए एक आंतरिक मेल जारी किया गया जिसमें टाइम से न आने को लापरवाही करार देते हुए भविष्य में ऐसे कृत्य पर दंडित किए जाने की बात कही गई है। इस मेल में निर्धारित टाइम से 10 मिनट की देरी को माफी योग्य बताया गया है लेकिन इसके बाद किसी तरह की माफी न देने की चेतावनी कही गई है।
सूत्रों का कहना है कि टीआरपी की जंग में देश के इस सबसे पुराने और प्रतिष्ठित न्यूज चैनल के लगातार पिछड़ने के चलते प्रबंधन में बेचैनी है। इसी कारण आजकल प्रबंधन जी न्यूज पर खास निगाह रखे है और संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही कुछ उलटफेर हो सकता है। खासकर कंटेंट से जुड़े वरिष्ठ लोग खुद को दुधारी तलवार पर पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कंटेंट की टीम पर दबाव बढ़ाने के लिए ही सुभाष चंद्रा ने आफिस समय से न आने वालों को पकड़ा। इसके जरिए उन्होंने वरिष्ठों को उनकी लचर व्यवस्था के बारे में संकेत दे दिया है। जानकारों का मानना है कि आमतौर पर ज्यादातर कंपनियों में साल में एक-दो बार प्रबंधन से जुड़े वरिष्ठ लोग औचक निरीक्षण जैसा कार्यक्रम इसलिए बनाते हैं ताकि कर्मचारियों पर मनोगत दबाव बना रहे और काम के प्रति जिम्मेदारी का भाव मजबूत हो। संभव है, सुभाष चंद्रा का निरीक्षण भी इसी का हिस्सा हो हो। इसी कारण इस निरीक्षण से कोई अन्य नतीजा निकालना जल्दबाजी कहा जाएगा। पर सूत्र बताते हैं कि जी न्यूज में अंदर की स्थितियां सामान्य नहीं हैं और पूरी टीम पर अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर जबरदस्त दबाव है।
अंत में : जी न्यूज में कार्यरत एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बी4एम को बताया- ''जी का राजकाज नहीं बदलने वाला। जो देर से आते हैं, वे आज भी देर से आए। जो बेचारे पहली बार देर से आने पर फंसे, उन्हें जरूर अफसोस हुआ और वे आज टाइम से पहले प्रकट हो गए। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि जी की जनता पर कोई खास फरक नहीं पड़ा चेयरमैन साहब के निरीक्षण से।''

संतोष और राकेश नई दुनिया छोड़ पीपुल्स के हुए

संतोष और राकेश नई दुनिया छोड़ पीपुल्स के हुए
नई दुनिया, भोपाल के जनरल मैनेजर (सरकुलेशन) संतोष सोलंकी ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने नई पारी पीपुल्स ग्रुप के अखबार पीपुल्स समाचार के साथ शुरू की है। सोलंकी दैनिक भास्कर और राज एक्सप्रेस जैसे अखबारों में काम कर चुके हैं। राज एक्सप्रेस के भोपाल और इंदौर एडिशन की लांचिंग में संतोष सोलंकी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसी तरह नई दुनिया, जबलपुर और भोपाल (नव दुनिया) की भी लांचिंग टीम के वरिष्ठ सदस्य सोलंकी रहे हैं। पीपुल्स ग्रुप में संतोष सोलंकी को प्रसार का काम सौंपा गया है। पद वही रहेगा, जनरल मैनेजर (सरकुलेशन)। वे पीपुल्स ग्रुप के सभी संस्करणों के प्रसार के लिए जिम्मेदार होंगे। पीपुल्स ग्रुप जल्द ही इंदौर एडिशन लांच करने वाला है। इंदौर के बाद जबलपुर, ग्वालियर और रायपुर एडिशन शुरू किए जाएंगे।
संतोष सोलंकी ने अपनी टीम भी बनानी शुरू कर दी है। उनके साथ नई दुनिया, ग्वालियर के सीनियर मैनेजर (सरकुलेशन) राकेश चतुर्वेदी ने भी पीपुल्स ग्रुप के अखबार पीपुल्स समाचार को ज्वाइन किया है। राकेश चतुर्वेदी के बारे में बताया जा रहा है कि उन्हें पीपुल्स समाचार के इंदौर एडिशन की जिम्मेदारी दी गई है। राकेश दैनिक भास्कर और अमर उजाला जैसे अखबारों के साथ भी काम कर चुके हैं। सरकुलेशन के फील्ड में 12 साल से सक्रिय राकेश नई दुनिया के रायपुर संस्करण की लांचिंग टीम के हिस्से रहे हैं। दैनिक भास्कर के राजस्थान के संस्करणों की लांचिंग में राकेश चतुर्वेदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

एडिटर को आदेश- बिजनेस हेड को रिपोर्ट करें!

एडिटर को आदेश- बिजनेस हेड को रिपोर्ट करें!
सोचिये, संपादक किसे रिपोर्ट करता होगा? आप कहेंगे- प्रधान संपादक को, सीईओ को, मैनेजिंग एडिटर को, मैनेजिंग डायरेक्टर को, चेयरमैन को या इनमें से किसी को भी। और, आपका कहना ठीक भी है। ऐसा अपने मीडिया में चलता है। लेकिन संपादक अपने बिजनेस हेड को रिपोर्ट करे, यह थोड़ी अजीब बात है। है न! कहां संपादक और कहां बिजनेस हेड। दोनों के अलग-अलग काम। दोनों के अलग-अलग विधान। दोनों के अलग-अलग तेवर। दोनों के अलग-अलग कलेवर। दोनों के अलग-अलग अंदाज। दोनों के अलग-अलग सरोकार। लेकिन इस बाजारवादी व्यवस्था में शेर और बकरी, दोनों एक साथ एक घाट पर पानी पीने लगे हैं। इस मार्केट इकोनामी में शेर सियार को रिपोर्ट करता दिख सकता है तो कहीं सियार हाथी का शिकार करते हुए मिल सकता है। वजह, तीन तिकड़म से माल कमाकर मालामाल करने वाला बंदा सबसे बड़ा अधिकारी मान लिया गया है। अन्य उद्योगों की तरह मीडिया में भी सबका माई-बाप रेवेन्यू हो गया है। यही वजह है कि विचार-समाचार से लेकर अचार बेचने वाले तक, सभी आजकल सुबह-शाम राग 'सबसे बड़ा रुपैय्या भैया' गाते हुए मिल जाएंगे। सबके सब रेवेन्यू की छतरी तले आने लगे हैं। रेवेन्यू की 'जय गान' कर नंबर बढ़ाने लगे हैं। कुछ लोग देर से ना-नुकुर के बाद शरमाते-सकुचाते रेवेन्यू की छतरी तले आ रहे हैं तो कुछ दौड़ते, जीभ लपलपाते भागे चले आ रहे हैं। इतनी सब कथा-कहानी के बाद अब आते हैं मूल खबर पर।
जी ग्रुप में नई परिपाटी शुरू हो गई है। जी ग्रुप के एक एडिटर को बिजनेस हेड को रिपोर्ट करने के लिए कह दिया गया है। बात हो रही है रीजनल न्यूज चैनल जी न्यूज यूपी / उत्तराखंड की। यहां एडिटर के रूप में कार्यरत वाशिंद्र मिश्रा को नए बिजनेस हेड अमित त्रिपाठी को रिपोर्ट करने के लिए आदेश जारी कर दिया गया है। अमित त्रिपाठी की नए बिजनेस हेड के रूप में नियुक्ति कल 13 जून को की गई है। इस नियुक्ति के संबंध में जारी आंतरिक मेल में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जी न्यूज यूपी चैनल के एडिटर वाशिंद्र मिश्र नए बिजनेस हेड अमित त्रिपाठी को रिपोर्ट करेंगे। अमित त्रिपाठी जी न्यूज के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट (सेल्स) के पद पर कार्यरत हैं और उन्हें जी न्यूज यूपी चैनल के बिजनेस हेड की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। अभी तक बिजनेस हेड के पद पर कार्यरत संजय पांडेय को अब 'नए न्यूज चैनलों के कंटेंट रिलेटेड एसाइनमेंट' का चार्ज दिया गया है। संजय पांडेय की नई जिम्मेदारी को लेकर भी जी की वाइस प्रेसीडेंट (एचआर) दिव्या वर्मा की तरफ से मेल जारी किया गया है। इस मेल में कहा गया है कि संजय पांडेय अब जी न्यूज लिमिटेड के सीईओ बरुन दास को रिपोर्ट करेंगे।

शनिवार, 9 मई 2009

हरियाणा में 25 मई को लांच होगा नया सांध्य दैनिक


हरियाणा में 25 मई को लांच होगा नया सांध्य दैनिक
हरियाणा के फतेहाबाद से एक नया अखबार लांच होने वाला है। नाम है- एएम-पीएम न्यूज। यह सांध्य अखबार होगा। 25 मई को यह अखबार लांच करने की तैयारी है। अखबार के सीएमडी और मुख्य संपादक ब्रिज भूषण मिढा हैं और संपादक हैं अजय मित्तल। अजय पहले दैनिक भास्कर में काम करते थे जहां से इस्तीफा देकर वे एएम-पीएम न्यूज के साथ जुड़े हैं।
यह अखबार शुरू में तीन जिलों फतेहाबाद, हिसार और सिरसा में वितरित होगा। बाद में इसके दायरे में पूरा हरियाणा लाया जाएगा। एक रुपये के इस सांध्य दैनिक के लिए अग्रिम बुकिंग का अभियान शुरू किया जा चुका है। छह महीने की बुकिंग डेढ़ सौ रुपये में की जा रही है। छह माह के लिए बुकिंग कराने वाले पाठकों को दीवाल घड़ी मुफ्त में दी ज रही है। इस अखबार की प्रिंटिंग के लिए खुद की मशीन प्रबंधन लगा चुका है। भड़ास4मीडिया से बात करते हुए ब्रिज भूषण मिढा ने बताया कि तीन जिलों की जनता को हम कम कीमत में बेहतर न्यूज और व्यूज देंगे। शुरुआत में हम लोगों का जोर प्रसार पर होगा। शुरू में यह अखबार ब्लैक एंड ह्वाइट होगा। बाद में सरकुलेशन और रेवेन्यू के आधार पर रंगीन करने पर विचार किया जाएगा।

इंडिया टुडे पर महंत ने किया मुकदमा

इंडिया टुडे पर महंत ने किया मुकदमा
जयपुर से मिली एक खबर के मुताबिक कदंब डूंगरी के महंत सीताराम दास ने देश की प्रतिष्ठित पत्रिका इंडिया टुडे पर मुकदमा कायम किया है। उन्होंने पत्रिका पर बदनाम करने और झूठी रिपोर्ट प्रकाशित करने का आरोप लगाया है। अदालत में दायर इस्तगासे में महंत सीताराम दास ने कहा है कि मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति को लेकर जो स्टोरी मैग्जीन में प्रकाशित की गई है, उसमें श्रद्धामाता के जीवन को लेकर भी कई व्यक्तिगत टिप्पणियां की गईं हैं जो बिलकुल अनुचित है।
स्टोरी श्रद्धामाता के श्रीयंत्र के मंदिर से गायब होने पर आधारित है। महंत सीताराम दास ने मुकदमें में इंडिया टुडे के एडिटर प्रभु चावला और राजस्थान ब्यूरो चीफ रोहित परिहार को पक्षकार बनाया है।

रविवार, 19 अप्रैल 2009

टाइम्स ग्रुप के खिलाफ हाकरों ने खोला

टाइम्स ग्रुप के खिलाफ हाकरों ने खोला मोर्चा

फरीदाबाद जिले में हाकरों ने टाइम्स ग्रुप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कल से हाकर टाइम्स ग्रुप का कोई भी अखबार नहीं उठा रहे हैं। टाइम्स आफ इंडिया, नवभारत टाइम्स, ईटी हिंदी और ईटी अंग्रेजी- इन सभी अखबारों का हाकरों ने बहिष्कार कर दिया है। पता चला है कि इसके पीछे वजह नवभारत टाइम्स की रीडर स्कीम से हाकरों को मिलने वाले कमीशन में कटौती है। फरीदाबाद न्यूजपेपर हाकर्स यूनियन के नेता महावीर पांडेय ने भड़ास4मीडिया को बताया कि फरीदाबाद और गाजियाबाद जिलों के लिए टाइम्स ग्रुप प्रबंधन ने नवभारत टाइम्स अखबार के लिए आठ महीने पहले एक स्कीम शुरू की थी। इस स्कीम के तहते कंपनी साढ़े तीन रुपये के नवभारत टाइम्स के लिए एक रीडर से एक साल के लिए 350 रुपये की जगह 250 रुपये सीधे ले लेती है। हाकर से कहा जाता है कि वे एजेंट से अखबार एक रुपये 65 पैसे में खरीदें और रीडर को दे दें। रीडर से कोई पेमेंट नहीं लेना है। महीना खत्म होने पर हाकर को रीडर से एक कूपन लेना है। इस कूपन को हाकर कंपनी में कैश कराएं।
कूपन के बदले कंपनी हाकर को हर महीने 105 रुपये देगी। महावीर के अनुसार इस स्कीम के आधार पर हम लोगों को पिछले आठ महीने से हर महीने हर कूपन पर 105 रुपये कंपनी देती रही है। अब जबकि स्कीम के खत्म होने में चार महीने बाकी रह गए हैं, कंपनी ने 105 रुपये देने से इनकार कर दिया है। कंपनी का कहना है कि उसके पास पैसा नहीं है, संकट का दौर चल रहा है इसलिए 105 रुपये की जगह हाकर सिर्फ 75 रुपये लेकर संतोष करें। महावीर पांडेय के मुताबिक इस शर्त को मानने से हम लोगों ने इनकार कर दिया। इसी के चलते टाइम्स ग्रुप के सभी अखबारों को कल से हम लोग नहीं उठा रहे हैं।
न्यूजपेपर हाकर्स यूनियन ने टाइम्स प्रबंधन को चेतावनी दी है कि अगर वे लोग हाकरों के पेट पर लात मारना जारी रखते हैं तो उनके अखबारों को होली जलाई जाएगी। सैकड़ों हाकरों ने आज फरीदाबाद पुलिस को लिखित नोटिस भेज दिया है कि वे लोग टाइम्स ग्रुप की मनमानी के खिलाफ उसके अखबारों को नहीं उठा रहे हैं और आगे आंदोलनात्मक कार्रवाई करेंगे। अगर कुछ होता है तो इसके लिए जिम्मेदार टाइम्स प्रबंधन होगा।

बीएस के वरिष्ठों की सेलरी में दस फीसदी कटौती

बीएस के वरिष्ठों की सेलरी में दस फीसदी कटौती
बिजनेस स्टैंडर्ड में 10 फीसदी सेलरी घटाए जाने की खबर है। सूत्रों का कहना है कि मंदी से निपटने के लिए इस बिजनेस डेली के प्रबंधन ने कई कदम उठाए हैं। इसी में एक सेलरी कटौती भी है। कटौती के दायरे में संपादकीय और गैर-संपादकीय सभी विभाग हैं। बताया जा रहा है कि ज्यादा सेलरी पाने वालों पर ही सेलरी कटौती का फंडा लागू किया जाएगा। बिजनेस स्टैंडर्ड लिमिटेड के मालिक बैंकर उदय कोटक हैं और प्रेसीडेंट अकिला हैं। सूत्रों के मुताबिक अखबार में पेजों की संख्या घटाने से लेकर अखबार के दाम बढ़ाने तक की कवायद खर्चे घटाने और रवेन्यू जनरेट करने के उद्देश्य से की जा रही है।

किस मुंह से दुनिया को पढ़ाएंगे नैतिकता का पाठ हिंदुस्तान, दैनिक जागरण

हिंदुस्तान, दैनिक जागरण
किस मुंह से दुनिया को पढ़ाएंगे नैतिकता का पाठ
भड़ास4मीडिया पेश करने जा रहा है वो सरकारी दस्तावेज जिससे साबित हो जाता है कि दैनिक हिंदुस्तान और दैनिक जागरण, दोनों ही अखबारों ने पैसे लेकर खबर छापने का काम किया है। इस दस्तावेज से यह भी साबित हो जाता है कि दैनिक हिंदुस्तान और दैनिक जागरण, दोनों ही बड़े अखबारों ने अपने-अपने पाठकों के साथ आपराधिक छल किया है। इससे साबित हो जाता है कि इन दोनों अखबारों का पत्रकारीय नैतिकता से कोई लेना-देना नहीं रह गया है, इनका एकमात्र एजेंडा ज्यादा से ज्यादा पैसा बनाना है, जैसा गैर-मीडिया कंपनियों का होता है। इससे साबित हो जाता है कि इन अखबारों में बड़े-बड़े पदों पर बैठकर गाल बजाने वाले मुख्य संपादक लोग और लंबे-चौड़े संपादकीय आलेख लिखने वाले प्रमुख संपादक लोग दरअसल सिर्फ ऐसे मुखौटे हैं जो प्रबंधन की काली करतूत को शाब्दिक लफ्फाजी के जरिए ढंकने का काम करते हैं और देश की जनता को गरिष्ठ-गंभीर शब्दों में सिद्धांत और नैतिकता की बातें समझाकर खुद को पत्रकारिता का महानतम ठेकेदार साबित करने का काम करते हैं।
इनमें थोड़ी भी नैतिकता, संवेदना और सच्चाई बची है तो इस खुलासे के बाद उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन हम लोग जानते हैं, ये इतनी मोटी चमड़ी वाले लोग हैं कि ये कुर्सी से हट ही नहीं सकते, जब तक कि इन्हें धक्के देकर और लात मारकर निकल जाने को न कह दिया जाए। इनके जीवन की सर्वोच्च मलाई और कमाई है ये कुर्सी। इसीलिए इस कुर्सी को बचाने के लिए हर कुकर्म को प्लान करेंगे, उसमें साझीदार रहेंगे और दुनिया के सामने खुद को सबसे बड़ा नैतिक ठेकेदार साबित करने के लिए बिके हुए इन अखबारों के सफेद पन्ने निर्जीव शब्दों से काले करते रहेंगे। उपर से तुर्रा ये कि अगर कोई इनके किए-धरे पर बात करने की 'गुस्ताखी' कर दे तो उसे कानून, कोर्ट-कचहरी में घसीट लिया जाएगा।
धन्य हैं ये मीडिया हाउस! धन्य हैं इनके महान संपादक!!
जरा बताइए संपादक जी, अब किस मुंह से नेताओं को नैतिकता और लोकतंत्र का पाठ पढ़ाएंगे आप लोग?
- यशवंत सिंह, एडिटर, भड़ास4मीडिया

एस1 के कायाकल्प की तैयारी, समीर बने सीईओ


एस1 के कायाकल्प की तैयारी, समीर बने सीईओ
एस1 न्यूज चैनल प्रबंधन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए समीर दीक्षित को बतौर सीईओ चैनल के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी है। 21 वर्षीय समीर ने हाल में ही सिंबोयसिस, पुणे से बीबीए कंप्लीट किया है। चैनल में आज उनका पहला दिन था। एस1 न्यूज चैनल के चेयरमैन विजय दीक्षित के पुत्र समीर दीक्षित की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में ही हुई है। भड़ास4मीडिया से बातचीत में समीर ने अपनी प्राथमकिताओं के बारे में जानकारी दी। समीर का मानना है कि चैनल का कंटेंट अच्छा है लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग की दिक्कतों की वजह से हम लोग वह मुकाम नहीं हासिल कर पा रहे हैं, जिसके हकदार हैं। इसे पाने के लिए एस1 की अनुभवी टीम के सहयोग से कई नए कदम उठाए जाएंगे।
मीडिया के फील्ड में बिलकुल नया होने के सवाल पर समीर का कहना है कि प्रतिभा और अनुभव, दो अलग-अलग चीजें होती हैं। एस1 में अनुभवी लोगों की कमी नहीं है। इन अनुभवी लोगों के चलते ही हम लोग बेहतर कंटेंट दे पा रहे हैं। जरूरत अब युवा और प्रतिभावान लोगों द्वारा चैनल को नई दिशा की ओर ले जाने की है। हम लोग कंटेंट के मामले में दूसरे कई चैनलों से स्ट्रांग हैं। मेरा फोकस डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग पर होगा ताकि चैनल की दृश्यता को बढ़ाया जा सके। अगर लोग देख ही नहीं पाएंगे तो फिर तारीफ या आलोचना कैसे करेंगे। एस1 की टीम में फेरबदल करने के सवाल पर समीर का कहना था कि टीम यही काम करेगी। टीम के माइंडसेट को केवल चेंज करना है। समीर के मुताबिक वे उम्मीद करते हैं कि चैनल युवाओं की ऊर्जा और अनुभवी लोगों के मार्गदर्शन में जल्द ही नये कलेवर के साथ आम लोगों की आवाज के रूप में अपनी नई पहचान बनायेगा।
एस1 न्यूज के चेयरमैन विजय दीक्षित से भड़ास4मीडिया ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा-'मैं कंपनी के दूसरे प्रोजेक्ट्स में बिजी रहता हूं इसलिए चैनल के काम को ठीक ढंग से देख नहीं पाता था। चैनल में वरिष्ठ लेवल पर एक आदमी की जरूरत थी जो डे-टुडे के काम को अच्छी तरह से हैंडल कर सके और सभी चीजों पर नजर रख सके। डिस्ट्रीब्यूशन, मार्केटिंग, प्रोग्रामिंग की दिक्कतें दूर करने के लिए और चैनल के संचालन को सहज बनाने के लिए समीर को बतौर सीईओ जिम्मेदारी सौंप दी गई है। उम्मीद करते हैं कि वे टीम के मनोबल को बढ़ाते हुए चैनल को नया तेवर व कलेवर देने में सफल होंगे। मीडिया से जुड़े नए प्रोजेक्ट्स भी समीर हैंडल करेंगे। 'एस1 तड़का' नाम से म्यूजिक चैनल लांच करने की योजना है। समीर से मूर्त रूप देने का काम करेंगे।
विजय दीक्षित ने एस1 न्यूज चैनल के कर्मियों को आश्वस्त किया कि उनके हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मंदी के दौर में थोड़ी बहुत ऊंच-नीच तो मीडिया में हर जगह है। उन्होंने बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट की मानिटरिंग कमेटी की अनुशंसा के बाद चैनल का आफिस दिल्ली से हटाकर नोएडा शिफ्ट गया था तो चैनल आफ एयर होने के उन चार महीनों में भी हमने एस1 कर्मियों को घर बिठाकर सेलरी दी थी। उन्होंने बताया कि चैनल में असल दिक्कत टाप लेवल पर किसी के न होने से पैदा हो रही थी, जो अब दूर कर दी गई है।

जुर्माने से खफा इंडिया टीवी ने एनबीए से नाता तोड़ा

जुर्माने से खफा इंडिया टीवी ने एनबीए से नाता तोड़ा

मुंबई हमलों के कवरेज पर सरकार और जनता के गुस्से से परेशान टीवी न्यूज चैनलों ने खुद को अनुशासित और नियंत्रित करने के लिए जो बाडी बनाई उसे नेशनल ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन (एनबीए) का नाम दिया गया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा को इसका हेड बनाया गया। इस बाडी का सदस्य इंडिया टीवी भी है। पिछले दिनों इंडिया टीवी पर
अमेरिकी एनालिस्ट फरहाना अली को अमेरिकी जासूस बताकर जो इंटरव्यू प्रसारित किया गया था, उसके खिलाफ फरहाना ने एनबीए में शिकायत की थी। एनबीए ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद इंडिया टीवी को दोषी पाया और उस पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया और माफीनामा प्रसारित करने का आदेश दिया। इस फैसले के बारे में विस्तार से खबर भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हुई। अब इस मामले में ताजा डेवलपमेंट ये है कि इंडिया टीवी एनबीए से ही खफा हो गया है। उसने खुद को एनबीए से अलग करने की घोषणा कर दी है।
भड़ास4मीडिया को मिली जानकारी के अनुसार इंडिया टीवी की तरफ से एनबीए के प्रेसीडेंट जी. कृष्णन को एक पत्र लिखकर चैनल द्वारा तत्काल प्रभाव से एनबीए से अलग होने की घोषणा कर दी गई है। पत्र में लिखा गया है-
“We are compelled to notify our withdrawal from the membership of the NBA. This communication may also be kindly treated as a notice for withdrawal from the membership of the NBA with immediate effect.”
इंडिया टीवी ने एनबीए के प्रेसीडेंट जी. कृष्णन जो कि आज तक समेत कई चैनल चलाने वाली कंपनी टीवी टुडे नेटवर्क के सीईओ भी हैं, पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। फरहाना अली के मामले में एनबीए ने अपनी वेबसाइट पर जो आधिकारिक रूप से विज्ञप्ति जारी की है, उसका एक हिस्सा इस प्रकार है-
''The News Broadcasting Standards Disputes Redressal Authority under the Chairmanship of Justice (Retd.) J.S. Verma, took suo motu cognizance of a complaint made by Ms. Farhana Ali, a writer, lecturer and policy analyst, residing in USA, and issued Show Cause notice dated 18.12.08, to India TV.
The complaint related to a broadcast made on India TV in December, 08, wherein the said channel had misused the interview given by Ms. Farhana Ali to Reuters by broadcasting it on India TV and thereby misrepresenting that Ms. Farhana Ali had given such interview to India TV, which was factually incorrect, unethical and unjustified. Ms. Farhana Ali had given the interview to Reuters in the English language. But the India TV deceptively dubbed the voice in Hindi, a language Ms. Farhana Ali did not know and did not speak. India TV also downloaded Ms. Farhana Ali’s picture from the internet and used it in the story giving the false impression that she had given the interview to India TV. India TV said in its story that Ms. Farhana Ali was a spy for the United States Government, which she never was. The language used by India TV in the broadcast was damaging and placed Farhana Ali’s life in jeopardy. In its broadcast India TV exaggerated the statement made by Ms. Farhana Ali to portray her as pro-India and anti-Pakistan. Since she was born in Pakistan and had never issued any such statement, such broadcast would damage here relations with family and friends in Pakistan. Ms. Farhana Ali worked as a political analyst and India TV’s broadcast had falsified her position within the US Government.
After carefully considering the response of India TV the Authority has held that India TV has violated the News Broadcasters Association’s Principles of Self-Regulation and Specific Guidelines Covering Reportage, among other things, Privacy, Impartiality and Objectivity.
The Authority found Independent News Service Pvt. Ltd., Channel India TV, guilty of the aforesaid provisions and has passed the following directions:
(I) It records a strong “disapproval” of the acts and omissions in relation to the subject broadcast made on India TV in relation to Ms. Farhana Ali;
(II) It directs M/s Independent News Service Private Limited Channel India TV as under:
(a) To pay a fine of Rs. 1,00,000/- (Rupees One Lac Only) to the News Broadcasters Association within 1 (one) month of receipt of this Order;;
(b) The broadcaster shall also, within 7 (seven) days of receipt of this Order, run on India TV on any one day an apology/regret as a ticker between 20:00 hrs. and 21:00 hrs., five times with a space of 12 minutes each, containing the following text:
“India TV apologizes for the story run on Ms. Farhana Ali in December, 2008 since the same was a misrepresentation of facts. Any harm caused to Ms. Farhana Ali is regretted.”
(c) To supply to the NBA a Compact Disc containing the broadcast of such apology / regret with particulars of the time and date of broadcast ;
(III) The Authority further directs:
(a) the NBA to issue a press release within one week in this behalf and to release the same to the Press Trust of India (PTI) and the United News of India (UNI) and to other national dailies.
(b) the NBA to host the summary of these proceedings on its website and to include such summary in its next Annual Report and also inform the members of the NBA.
(c) To send to Ms. Farhana Ali a copy of this Order”.
Issued under Orders of the News Broadcasting Standards Disputes Redressal Authority.
Annie Joseph
For and on behalf of
News Broadcasting Standards Disputes Redressal Authority

आप खुद फैसला करिए, प्रभाष जी गलत हैं या मैं?

आप खुद फैसला करिए, प्रभाष जी गलत हैं या मैं?
श्रद्धेय प्रभाष जोशी जी का इंटरव्यू भड़ास4मीडिया पर पढ़ा। मेरे बारे में उनके कहे गए अंश का जवाब देना चाहूंगा। लेकिन कुछ भी कहने से पहले उनसे हजार बार माफी मांग लेता हूं। जब उन्होंने कहा है तो जवाब देना भी जरूरी है। माफी मांगने की दो वजहें हैं। एक, वो उम्र और अनुभव दोनों में ही मेरे से कहीं आगे हैं। इस नाते उनका सम्मान करता हूं। ये बात मैं पहले भी कह चुका हूं। दो, उनके "अपनों" को पीड़ा होगी। छद्म नामों से मुझे धमकियां देंगे। मैं अदना सा पत्रकार हूं। धमकियों से डर लगता है। खैर, अपनी बात शुरू करता हूं। मेरी सुनने से पहले वो अंश आप जरूर पढ़िए, जो आदरणीय प्रभाष जी ने मेरे बारे में कहा है, कह रहे हैं-
''...उमेश जोशी हमारे यहां रहते हुए टीवी पर काम करने लगे। हमारे यहां ऐसा नहीं होता था। इसलिए हमने उन्हें कभी प्रमोट नहीं किया। हमने उन्हें कई बार समझाया कि क्यों करते हो। टीवी पर काम करना चाहते हो तो अखबार छोड़ दो भाई। जनसत्ता के हितों का जो भी मामला हुआ, उसमें जो भी आड़े आया हो, उसे अपन ने कभी बर्दाश्त नहीं किया। चाहे वो आलोक तोमर हों या जोशी। मैं गुडी-गुडी वाला संपादक कभी नहीं था। अच्छा एडमिनिस्ट्रेटर था...''
इन शब्दों को पढ़ने के लिए इसलिए आग्रह कर रहा था ताकि आप मेरी बात को ठीक से समझ सकें। जी, मैं टीवी पर काम करता था। दिसबंर में स्वर्गीय कमलेश्वर जी ने मुझे न्यूज कास्टर एप्रूव किया था। तब कमलेश्वर जी दूरदर्शन न्यूज के हेड थे। उन दिनों स्क्रीन पर आने से पहले लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता था। लिखित परीक्षा, वॉयस टेस्ट और अंत में स्क्रीन टेस्ट। पांच विशेषज्ञों की कमेटी फैसला करती थी। इस प्रक्रिया में मैं कामयाब रहा और दिसंबर के अंतिम सप्ताह में मुझे बुलेटिन पढ़ने को दिया गया। उन दिनों शाम छह बजे दो मिनट का बुलेटिन टेलीकास्ट होता था। न्यूजकास्टर ( जो अब एंकर कहलाते हैं) खड़ा होकर बुलेटिन पढ़ता था। उसी बुलेटिन से मैंने दूरदर्शन में काम करने की शुरुआत की। करीब डेढ़ साल बाद जनसत्ता में भर्ती होने का विज्ञापन निकला। वहां भी कड़ी प्ररीक्षा से गुजरकर नौकरी हासिल की। सरकारी नौकरी छोड़कर जनसत्ता गया था। प्रभाष जी ने साफ कहा था कि ज्यादा नहीं दे पाएंगे। जितना पा रहे हो, उससे कम नहीं होने देंगे। पहली तनख़्वाह पर पैसा कम मिला था, जिसे प्रभाष जी ने तुरंत कंपनसेट कर दिया था। मेरी भूल थी कि मैंने दूरदर्शन में काम करने का जिक्र नहीं किया। पर कुछ दिनों बाद प्रभाष जी को खुद ही पता चल गया था। उन्होंने इस पर एतराज़ किया लेकिन बाद में मेरे एक सहयोगी ( जो इस समय बड़े प्रतिष्ठान में संपादक हैं) के आग्रह करने पर दूरदर्शन में समाचार वाचन की मौखिक मंजूरी दे दी। उन्होने एक बार स्क्रीन पर मुझे देखकर मेरी टाई पर टिप्पणी भी की थी और अच्छी टाई पहनने की सलाह देते हुए मुझे एक टाई भी भेंट की थी। वो टाई आज भी मेरे पास है। सहेजकर रखी है उसी "पत्र" की तरह।
अब आप खुद ही फैसला कर लीजिए कि क्या मैं उनकी मर्जी के खिलाफ दूरदर्शन में काम कर रहा था?
शायद मार्च का महीना रहा होगा। उन्होंने प्रमोशन का पत्र एच.आर. से मंगाकर अपने पास रख लिया। शर्त लगा दी- दूरदर्शन छोड़ दो और प्रमोशन लेटर ले जाओ। मुझे दुख इस बात का था कि संपादक एचआर का काम कर रहा था। संपादक प्रमोशन के लिए संस्तुति करता है, प्रमोशन लेटर एच.आर. देता है। किसी भी संस्थान में दोहरे मापदंड नहीं होते। भोपाल संवाददाता को बीबीसी के लिए काम करने की इजाजत दी गई थी। वो जनसत्ता के खर्चे पर कवरेज के लिए जाता था और खबर छपने से पहले बीबीसी को भी मुहैय्या कराता था। उसे एक के बाद एक प्रमोशन देकर मार्केटिंग विभाग से उठाकर पत्रकार बनाया गया। भाषा और खबरों से कोई रिश्ता नहीं था। जनसत्ता में किसी भी उप संपादक को देर से आने का दंड देने के लिए उन्हीं संवाददाता की कॉपी एडिट करने के लिए दी जाती थी। आप कहेंगे कि ऐसा अयोग्य व्यक्ति बीबीसी के लिए कैसे काम कर सकता है। बड़े बैनर से जुड़े व्यक्ति की योग्यता नहीं परखी जाती, उसे साख पर काम दे दिया जाता है। और फिर, स्वर्ग में सभी पालकियों में नहीं चलते, पालकी ढोने वाले भी होते हैं।
मैंने ये दलील दी थी कि दूरदर्शन कभी आफिस टाइम में नहीं जाता। पर एक न सुनी गई। प्रमोशन रोक दिया गया। खुन्नस कुछ और थी। एक्सप्रेस ग्रुप में दो बार हड़ताल हुई। प्रभाष जी ने हड़ताल तुड़वाकर चंडीगढ़ से अखबार निकलवाने की कोशिश की। संपादक के नाते उन्हे ऐसा करना भी चाहिए था। लेकिन उनके कहने पर कुछ लोग हड़ताल तोड़ने को राज़ी नहीं हुए। उन्ही में से एक मैं था। दोनों बार मैं वर्करों के साथ डटा रहा। हड़ताल समर्थक जनसत्ताइयों की गाहे-बगाहे दुर्गति देखने को मिलती थी। कुछ छोड़कर चले गए। एक साथी का निधन हो गया। मैं डटा रहा और खामियाज़ा भुगतता रहा। बलबीर पुंज नेपथ्य से हड़ताल तु़ड़वाने में लगे थे। उन्हें जब भी मौका मिलता, वो कर्मचारी को समझाते थे कि हड़ताल से कर्मचारियों का नुक़सान है। पहली हड़ताल क़रीब साठ दिन चली। सभी को पीड़ा थी प्रभाष जी के आदेश को न मानने की। हम हड़तालियों को सभी हड़ताल तोड़ू हेय नज़रों से देखते थे। वर्कर को दग़ा देने के अपराध में शर्मिंदा उन्हें होना चाहिए था, लेकिन हमें नीचा दिखाया जा रहा था। उनकी मेजोरिटी थी। हमारा सोशल बॉयकॉट किया गया। इसके अगुवा थे समचार संपादक जो बाद में जनसत्ता के संपादक भी बने। इस बॉयकॉट का मेरे उसी साथी ने विरोध किया, जिनका मैं दूरदर्शन में काम करने की इजाज़त दिलवाने के लिए प्रयास करने का ज़िक्र कर चुका हूं। दूसरी हड़ताल में भी इस घटना की पुनरावृत्ति हुई। मेरी पत्नी को भी समझाया गया था कि वो मुझे प्रभाष जी की सलाह मान लेने की थोड़ी अक्ल दे। मैंने उससे इतनी ही कहा- मुझे वो काम करने की सलाह मत दो, जिससे मुझे हमेशा अपराध बोध रहे और आजीवन शर्म से गड़ा रहूं। इस बार भी दो महीने बाद हड़ताल टूटी। दीपावली हड़ताल में मनीं। कैसी रही होगी दीपावली। पहली दीपावली भी बदरंग रही थी। इस बार फर्क इतना था, हड़ताल टूटने के बाद हमारा सोशल बॉयकॉट नहीं हुआ।
प्रभाष जी ने इंटरव्यू में कहा है कि गोयनका जी लोगों के बारे में गालियों से बात करते थे। जनसत्ता की 21 साल की नौकरी में गोयनका जी को दो बार देखा। एक बार गाड़ी से उतरकर दफ्तर जाते हुए और दूसरी बार खादी की बनियान (बंडी) और धोती में ऊंचे स्वर में गालियां देते हुए। कई घंटों से बिजली गुल थी। उनका धैर्य टूट गया था और मैनजमैंट के लोगों को गालियां देते हुए बाहर चबूतरे पर आ गए थे। ये सच है कि वो गाली देते थे। लेकिन सिर्फ इर्द-गिर्द रहनेवाले लोगों को। आप जानते है कि संपादक और प्रबंधन के आला अफसरों के अलावा और कौन उनके पास जाता होगा?
वरिष्ठ पत्रकार उमेश जोशी इन दिनों टोटल टीवी के एडिटर हैं। यह आर्टिकल उनके ब्लाग 'मुझे बोलने दो' से साभार लिया गया है। उमेश से संपर्क के लिए umeshjoshi2009@gmail.com

शनिवार, 21 मार्च 2009

मुगालते में भाजपा

साल भर पहले भाजपा को सत्ता एकदम करीब आती लग रही थी लेकिन चार विधानसभा के चुनाव में मिली हार के कारण उसका मोहभंग हुआ । अब राजनीतिक हालात इस तरह बदल रहे है उसमे भाजपा को सत्ता अपनी पहुच से और भी दूर होती दिखाई दे रही है इसलिए वह उन लोगों का भी सहारा लेने से चूकना नहीं चाहती जिनका नाम सपने में भी नहीं लेती थी । किसी समय लगभग धकेल कर पार्टी से बाहर की गई उमा भारती के बारे में भाजपा स्वागत करने का मूड बना रही है।
उमा भारती भी भाजपा में जाने के लिए letter bhej ने लगी है । भाजपा या उससे nikle और sangh परिवार में pale - badhi neta यह kyou भूल जाते है की handi एक ही बार chadti है। ६ साल तक केन्द्र में बने रहने के बाद लोगों ने भाजपा का asli chera pahchan लिया है। यह ummid करना baalu से tail nekalne jaisa होगा की लोग एक बार फिर इस पार्टी को rastriya Estar par svikaar kar lenge. kitni prihar ho jaae bhajpa alpsankhyko ke man me apne prati viswas katai nahi jgaa sakti. phir bhi ummid karna har party ka adhikaar है .

शुक्रवार, 20 मार्च 2009

AIR ALLAHBAD FORGETS ITS OWN DIAMOND JUBILLE!


Shame, shame. That is all one can say to all those who have perched themselves in the seats of authority in AIR Allahabad. They did not remember that AIR Allahabad was born 60 years ago in February 1949—60 years ago. I waited for some announcement to come. AIR’s friends advised me to forget it. ‘What’s in a Diamond Jubilee’, remarked one. I told him. ‘Allahabad University has a Diamond Jubilee Hostel which was established to mark the completion of 60 years of the University’.
AIR Allahabad still has eleven months to plan something। If they cannot do so, they can at least replay some of the memorable interviews which were recorded for the Golden Jubilee year 10 years ago under the Station Directorship of R.P.Mishra. If the present bosses, were to listen to those interviews they will realize what a big mess they are making of the golden heritage which has come down to them . I was also interviewed. The present bosses, who must apparently be fuming at me with anger, can omit that interview. But there must be hundreds of interviews with legendary figures in the realm of broadcasting. If these are re-broadcast, it will cost them nothing and yet give a chance to listeners to listen to the voices of stalwarts like Gopal Kaul, Shanti Mehrotra, Hira Chadda. Vinod Rastogi, who are no more, to say nothing of the living legends spread in every nook and corner of the country.
It is most ironical that when this radio station had a very, very low power transmitter, it was being taken care of better. The reception was flawless. But ever since its transmission power was raised, the reception has suffered miserably. It is difficult to get flawless reception on the medium wave. This is something unheard of. It all goes to show that the radio station has been orphaned as it were. And B.S.Lali. the Prasar Sharti chief, cannot be forgiven for not caring for this station in Allahabad where he was once the DM and thereafter the Commissioner. Sunit Vyas among others has written to him several times that AIR Allahabad needs a full-fledged Station Director. In spite of making promises, he has not been able to arrange for an SD. And he claims that the Prasar Bharti-run stations are doing a wonderful job. There couldn’t be a bigger, damn lie than this.

V.S. Dutta, Editor, Northern India Patrika, Allahabad

गुरुवार, 19 मार्च 2009

इंडिया tv के रजत शर्मा देर आए durust आए

इंडिया tv के रजत शर्मा को कई सिटी का दौरा करने के बाद अक्ल आयी की स्वर्ग का रास्ता dikhane से लेकर baseless samachar का prasaradn उनकी lutiya dubodegi । vastav me mai भी इंडिया tv lagte ही chillane लगता था channel badlo bakwaas है। baccho ने इंडिया tv को lock कर दिया । badhai रजत जी २१ मार्च से sansanikhej, baseless khabare न dikhane के decision । देर आए durust आए। badhaai

बुधवार, 18 मार्च 2009

नई दुनिया दिल्ली के लिए इलाहाबाद में घमासान

नई दुनिया दिल्ली एडिशन का इलाहाबाद में सेल आरंभ हो गई है वौइस् ऑफ़ अमेरिका वासिंगटन (रेडियो) के पूर्व उत्तर प्रदेश प्रमुख तथा अमृत प्रभात एवं हिंदुस्तान के पूर्व जावाज रिपोर्टर स्नेह मधुर इलाहाबाद से धासू ख़बर दिल्ली भेज रहे है मंत्री द्वारा वकील की होली मिलने अपने घर आने पर पिटाई का समाचार इलाहाबाद के किसी समाचार पत्र ने नही छापा जबकि सब जानते थे । छापा सिर्फ़ दिल्ली के नई दुनिया ने स्नेह मधुर के माध्यम से । बाद में वकीलों ने खूब बवाल मचाया जिलाधिकारी ने भोक्त्भोगी वकील को अकेले कमरे में बुलाया और मजबूरन अन्य वकील वापस चले गए । लेकिन मजेदार बात यह है की नई दुनिया में सिर्फ़ स्नेह मधुर की न्यूज़ छप रही है जबकि रिपोर्टर्स क्लब के प्रेसिडेन्ट रतन दिक्षित भी apne को रिपोर्टर बता रहे है । नियुक्ति पत्र किसके पास है यह शोध का विषय

अंतरराष्ट्रीय श्रोता समाचार

34 साल और नॉटआउट, जय हो

25 साल से ज़्यादा हो गये होंगे। स्कूल में पढ़ता जब पहली बार एक अखबार देखा, अंतरराष्ट्रीय श्रोता समाचार। उस जमाने में इतनी साफ-सुथरी छपाई, वो तो अलग बात है। असली बात थी कंटेंट। उस ज़माने में कौन सोचता था मीडिया पर केंद्रित अखबार निकालने के बारे में। सालाना ग्राहक तो नहीं बन पाया लेकिन जब भी मौका मिला पढ़ता रहा। अब 25 साल बाद फिर मिला है वो अखबार छपाई और लेआउट उतना ही शानदार, कंटेट भी बढ़िया। लेकिन काफी दुबला हो गया, पेज कम हो गये हैं। देखकर खुशी हुई विज्ञापनों से लबालब है, इसलिये खबरें और लेख भी कम हो गये हैं। सबसे बड़ी बात तो ये कि 34 साल से चल रहा है, नॉटआउट। दो और अखबार भी शुरु कर दिये हैं, एक बागवानी पर दूसरा सेहत पर। सूचना क्रांति के युग में जी रहे हैं हम लोग, इसलिये ऐसी खबरें दें जो बासी नहीं पड़ती हैं तो बढ़िया रहेगा, अग्रवाल जी। वरना तो आजकल 5 मिनट में खबर या तो झूठी हो जाती है या बासी। अगर आप भी ये अखबार पढ़ना चाहते हैं तो संपर्क करें।

श्री अरुण कुमार अग्रवाल

(संपादक : अंतरराष्ट्रीय श्रोता समाचार)

27, जवाहर स्कवायर

इलाहाबाद-211003

फोन नंबर: 9235412994

फैक्स नंबर:0532-2614296

(gwaliormediaclub.blogspot.com से साभार)

रविवार, 15 मार्च 2009

जब मंत्री ने वकील को पीटा, स्नेह मधुर ने नई दुनिया में लिखा

स्नेह मधुर, इलाहाबाद
लाहाबाद (सं) । होली की टोली लेकर "होली मिलन" को घर आए एक वकील को उत्तर प्रदेश के मंत्री नंद गोपाल नंदी ने सबके सामने जूतों से पीटकर बरसों पुरानी उस उक्ति को झुठला दिया कि होली में दुश्मनों को भी गले लगाया जाता है।मंत्री के हाथों पिटे राजेंद्र प्रसाद केशरी पेशे से वकील हैं । केशरी के अनुसार उन्होंने शरीर पर लगी चोटों की डाक्टरी जांच कराई और मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ अपने जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई है। मंत्री के प्रतिनिधि लल्लू राम गुप्ता के अनुसार उन्हें इस तरह की किसी घटना की जानकारी नहीं है। उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पूर्व केशरी ने मकान ह़ड़पने के एक मामले में धारा १९९, २००, ४२०, ४६७, ४६८, ४७१, ५०७, ५०६ एंव १२० के तहत जिन चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी उनमें एक नाम नंद गोपाल नंदी का भी था जो बाद में मंत्री बन गए । राजेंद्र प्रसाद केशरी ने मुख्यमंत्री। एसएसपी, जिलाधिकारी और मुख्य चुनाव आयुक्त आदि को इस बाबत शुक्रवार को शिकायती पत्र भेजा है। पत्र के अनुसार १२ मार्च को उन्होंने अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष के आवास पर कई लोगों के साथ होली मनाई । फिर वहां से टोली बनाकर मंत्री के मुट्टीगंज स्थित आवासनुमा कार्यालय पंहुचे । वहां पर उन्हें देखते ही मंत्री बिफर कर कहने लगे कि इसी आदमी ने मेरे खिला़फ़ मुकदमा दर्ज कराया है, इसे जिंदा नहीं छो़ड़ूंगा । केशरी के अनुसार मंत्री ने उन्हें खूब गालियां सुनाईं । जूते उतारकर सबके सामने उन्हें धुन डाला !