
पूरा आफिस घूमने के बाद जी के मुखिया गेट पर पहुंचे और रजिस्टर सामने रखवाया। सबके आने का निर्धारित टाइम और कल के दिन पहुंचने का टाइम दर्ज कराया। ''चेयरमैन साहब आफिस में चेक कर रहे हैं'' टाइप की सूचना धड़ाधड़ जी कर्मियों तक पहुंचने लगी। क्या एडिटर और क्या आडिटर, सब एलर्ट। सब जी न्यूज आफिस की ओर दौड़े। सूत्रों का कहना है कि रात की शिफ्ट को सुबह रिलीव करने के लिए जो लोग आते हैं, उनमें ज्यादातर देर से पहुंचते हैं। ये सभी लोग चेयरमैन के औचक निरीक्षण में पकड़े गए। इनके अलावा कई ऐसे लोग भी फंसे जो पहली बार देर से आए। सभी विभागों के देर से आने वाले कर्मियों को मौखिक हिदायत दी गई है कि वे आगे से इस तरह की गलती न करें और आफिस समय से आएं। बाद में सभी कर्मियों के लिए एक आंतरिक मेल जारी किया गया जिसमें टाइम से न आने को लापरवाही करार देते हुए भविष्य में ऐसे कृत्य पर दंडित किए जाने की बात कही गई है। इस मेल में निर्धारित टाइम से 10 मिनट की देरी को माफी योग्य बताया गया है लेकिन इसके बाद किसी तरह की माफी न देने की चेतावनी कही गई है।
सूत्रों का कहना है कि टीआरपी की जंग में देश के इस सबसे पुराने और प्रतिष्ठित न्यूज चैनल के लगातार पिछड़ने के चलते प्रबंधन में बेचैनी है। इसी कारण आजकल प्रबंधन जी न्यूज पर खास निगाह रखे है और संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही कुछ उलटफेर हो सकता है। खासकर कंटेंट से जुड़े वरिष्ठ लोग खुद को दुधारी तलवार पर पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कंटेंट की टीम पर दबाव बढ़ाने के लिए ही सुभाष चंद्रा ने आफिस समय से न आने वालों को पकड़ा। इसके जरिए उन्होंने वरिष्ठों को उनकी लचर व्यवस्था के बारे में संकेत दे दिया है। जानकारों का मानना है कि आमतौर पर ज्यादातर कंपनियों में साल में एक-दो बार प्रबंधन से जुड़े वरिष्ठ लोग औचक निरीक्षण जैसा कार्यक्रम इसलिए बनाते हैं ताकि कर्मचारियों पर मनोगत दबाव बना रहे और काम के प्रति जिम्मेदारी का भाव मजबूत हो। संभव है, सुभाष चंद्रा का निरीक्षण भी इसी का हिस्सा हो हो। इसी कारण इस निरीक्षण से कोई अन्य नतीजा निकालना जल्दबाजी कहा जाएगा। पर सूत्र बताते हैं कि जी न्यूज में अंदर की स्थितियां सामान्य नहीं हैं और पूरी टीम पर अच्छा प्रदर्शन करने को लेकर जबरदस्त दबाव है।
अंत में : जी न्यूज में कार्यरत एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बी4एम को बताया- ''जी का राजकाज नहीं बदलने वाला। जो देर से आते हैं, वे आज भी देर से आए। जो बेचारे पहली बार देर से आने पर फंसे, उन्हें जरूर अफसोस हुआ और वे आज टाइम से पहले प्रकट हो गए। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि जी की जनता पर कोई खास फरक नहीं पड़ा चेयरमैन साहब के निरीक्षण से।''
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