मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

पत्रकार महासंघ अपने सदस्य पत्रकारों का कराएगा बीमा

इलाहाबाद । पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले और उनके इलाज की समुचित व्यवस्था न होने के कारणों को ध्यान में रखते हुए भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने अपने सदस्य पत्रकारों को निःशुल्क बीमा कराने की घोषणा की है।

इलाहाबाद के तोता मैना तिराहा, जवाहर स्क्वायर, चौक में हुई बैठक को सम्बोधित करते हुए महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. भगवान प्रसाद उपध्याय ने कहा कि महासंघ के सदस्य पत्रकारों को प्रतिवर्ष बीमा की सुविधा प्रदान की जाएगी। राष्ट्रीय संरक्षक अरुण कुमार अग्रवाल ने कहा कि एक पत्रकार सहायता कोष बनाया जाएगा ताकि आकस्मिक सहायता प्रदान की जा सके। बैठक में भाग लेने वालों में प्रमुख थे सर्वश्री महेन्द्र अग्रवाल, डॉ. शिवलाल तिवारी, विवेक वाजपेयी, ध्रुव सिंह, विजय चितौरी आदि। PR

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रविवार, 24 अक्तूबर 2010

अंतरराष्ट्रीय श्रोता समाचार

34 साल और नॉटआउट, जय हो

25 साल से ज़्यादा हो गये होंगे। स्कूल में पढ़ता जब पहली बार एक अखबार देखा, अंतरराष्ट्रीय श्रोता समाचार। उस जमाने में इतनी साफ-सुथरी छपाई, वो तो अलग बात है। असली बात थी कंटेंट। उस ज़माने में कौन सोचता था मीडिया पर केंद्रित अखबार निकालने के बारे में। सालाना ग्राहक तो नहीं बन पाया लेकिन जब भी मौका मिला पढ़ता रहा। अब 25 साल बाद फिर मिला है वो अखबार छपाई और लेआउट उतना ही शानदार, कंटेट भी बढ़िया। लेकिन काफी दुबला हो गया, पेज कम हो गये हैं। देखकर खुशी हुई विज्ञापनों से लबालब है, इसलिये खबरें और लेख भी कम हो गये हैं। सबसे बड़ी बात तो ये कि 34 साल से चल रहा है, नॉटआउट। दो और अखबार भी शुरु कर दिये हैं, एक बागवानी पर दूसरा सेहत पर। सूचना क्रांति के युग में जी रहे हैं हम लोग, इसलिये ऐसी खबरें दें जो बासी नहीं पड़ती हैं तो बढ़िया रहेगा, अग्रवाल जी। वरना तो आजकल 5 मिनट में खबर या तो झूठी हो जाती है या बासी। अगर आप भी ये अखबार पढ़ना चाहते हैं तो संपर्क करें।

श्री अरुण कुमार अग्रवाल

(संपादक : अंतरराष्ट्रीय श्रोता समाचार)

27, जवाहर स्कवायर

इलाहाबाद-211003

फोन नंबर: 9235412994

फैक्स नंबर:0532-2407102

(gwaliormediaclub.blogspot.com से साभार)


वरिष्ठ हिंदुस्तानी प्रदीप सौरभ पर गिरी गाज

शशि शेखर के पीए अमित भी हटाए गए : ज्ञान स्वामी, मधुकर व उमा पहुंचे आज समाज, गुड़गांव : हिंदुस्तान अखबार में एक और पुराने हिंदुस्तानी पर गाज गिर गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सौरभ अब हिंदुस्तान ग्रुप के हिस्से नहीं रहे. उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. इन दिनों वे नोटिस पर चल रहे हैं. जानकारी के मुताबिक शशि शेखर एंड कंपनी जिस तरह पुराने लोगों को एक एक कर निपटा रही है उससे दिल्ली-एनसीआर के पुराने हिंदुस्तानियों का दिल काम करने में कम लग रहा है. उनकी ज्यादा ऊर्जा यह सोचने में जाया हो रही है कि न जाने अब किसकी बारी है, न जाने अब किस पर गाज गिरेगी.

प्रदीप सौरभ दिल्ली के चर्चित व बेहतरीन पत्रकारों में शुमार किए जाते हैं. हाल में प्रकाशित उनका उपन्यास मुन्नी मोबाइल काफी चर्चित रहा. इलाहाबाद के रहने वाले प्रदीप सौरभ करीब 28 वर्षों से हिंदुस्तान अखबार के साथ थे. इन दिनों वे नेशनल ब्यूरो में कार्यरत थे और पोलिटिकल पार्टीज समेत कई बीटों को कवर कर रहे थे. सूत्रों का कहना है कि नोटिस पीरियड कंप्लीट हो जाने के बाद प्रदीप सौरभ कुछ नए प्रोजेक्ट्स शुरू करने की घोषणा कर सकते हैं.

प्रदीप सौरभ के जाने से ठीक पहले शशि शेखर के निजी सहायक उर्फ पीए अमित शर्मा पर गाज हिंदुस्तान प्रबंधन ने गिराई. अमित की नियुक्ति हिंदुस्तान प्रबंधन की तरफ से की गई थी. लेकिन अमित का सहायक रवैया प्रधान संपादक शशि शेखर को रास नहीं आया. चर्चा है कि अमर उजाला में शशि शेखर के जो निजी सहायक हुआ करते थे, वे हिंदुस्तान जाकर शशि शेखर के साथ काम शुरू कर सकते हैं लेकिन इन चर्चाओं की अभी औपचारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है.

गुड़गांव से खबर है कि आज समाज के साथ कई लोग जुड़ गए हैं. लखनऊ में कई अखबारों में फोटोग्राफी कर चुके ज्ञान स्वामी आज समाज, गुड़गांव आ गए हैं. कुमार मधुकर और उमा सिंह ने भी ज्वाइन कर लिया है. मधुकर अमर उजाला, चंडीगढ़ में थे. कुछ और लोग जल्द ज्वाइन करने वाले हैं. उल्लेखनीय है कि गुड़गांव में आज समाज अपना संस्करण काफी समय से लांच करने की तैयारी में है और इस प्रक्रिया में कई लोग आ और जा चुके हैं. अब संजय त्यागी को जिम्मा दिया गया है. देखना है कि यहां अखबार कब तक लांच हो पाता है.


आरकेवी फाउंडेशन के अध्यक्ष बने परेशनाथ

भारतीय भाषाई समाचार पत्र इलना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली प्रेस व सरल सलिल के संपादक श्री परेशनाथ जी को गत दिवस आरकेवी फाउंडेशन द्वारा आयोजित उनके भव्य स्वागत व अभिनंदन समारोह के दौरान फाउंडेशन के संस्थापक रवि कुमार विश्नोई के आग्रह पर महापौर श्रीमति मधु गुर्जर व माननीय पदमश्री चौ0 चरण सिंह विवि के पूर्व कुलपति डा. रवीन्द्र कुमार द्वारा उन्हें फाउंडेशन का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने का नियुक्ति पत्र सौंपा गया। समाज सेवा व अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आरकेवी फाउंडेशन का राष्ट्रीय जनरल सेकेट्री श्री अंकित विश्नोई व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डा. ललित भारद्वाज को बनाया गया। इस मौके पर तीनों पदाधिकारियों ने आरकेवी फाउंडेशन के राष्ट्रव्यापी विस्तार हेतु कार्य करने के साथ ही ग्लोबल वार्मिंग रोकने व स्वस्थ्य और शिक्षा सहित तमाम क्षेत्रों में काम करने का संकल्प दोहराया।


चाचा-भतीजे की जंग में अखबारवालों की मौज

विपिन पब्बी को ब्रेकफास्ट, चेंगप्पा को लंच तो राजा बोस को डीनर, जय हो चाचा, भतीजे की लड़ाई की : मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके भतीजे मनप्रीत सिंह बादल की लड़ाई का खूब फायदा अखबार जगत उठा रहा है। अखबारों के एडीटर भी मजे ले रहे हैं और अखबारों के रिपोर्टर भी। एडीटरों को मजे का ब्रेकफास्ट और लंच तो साथ ही गिफ्ट का आफर। पिछले कुछ दिनों से पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में पत्रकारों की फिजा बदल गई है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सारे रिपोर्टरों और एडीटरों को खूब खुश करने की हिदायत दे रखी है। उधर सुखबीर बादल ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए खुद लोक संपर्क विभाग अपने अधीन कर लिया है।

मनप्रीत बादल के विद्रोह से पिता पुत्र परेशान हैं। प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल को समझ में नहीँ आ रहा कि क्या करें। उपर से मीडिया में मनप्रीत सिंह बादल के कवरेज ने परेशान कर दिया है। इसी कारण प्रकाश सिंह बादल ने सारी मीडिया को अपने काबू में करने के लिए हर हथकंडे अपना लिए हैं। दो दिन पहले इंडियन एक्सप्रेस के स्थानीय संपादक विपिन पब्बी को ब्रेकफास्ट पर बुलाया गया। जबकि उस दिन ही लंच पर ट्रिब्यून के एडीटर राज चेंगप्पा को बुलाया गया। इसके बाद रात का डिनर टाइम्स आफ इंडिया के संपादक राजा बोस के लिए फिक्स किया गया। लेकिन राजा बोस उस दिन एक रिपोर्टर को ले जाने के लिए आमादा थे, इसलिए डिनर नहीं हो पाया। बाद में राजा बोस का डिनर किया गया।

इस पूरे खेल में दैनिक जागरण ने स्टैंड ले लिया है। दैनिक जागरण ने खुलकर मनप्रीत का विरोध शुरू कर दिया है। खुद दैनिक जागऱण के संपादक निशिकांत ठाकुर चंडीगढ़ में बैठे हैं। कोशिश है सरकार का करीबी बनकर ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन लिया जाए। सरकार भी जागरण के चारण वंदना को नजर अंदाज नहीं कर रही है। लेकिन सरकार मालिक संपादक ही नहीं, रिपोर्टरों का भी ख्याल रख रही है। 19 अक्तूबर को मुख्यमंत्री बादल ने अपने घर पर लंच दिया। इसमें 12 चुनिंदा पत्रकारों को बुलाकर खिलाया-पिलाया गया।

अगले दिन 20 अक्तूबर को फिर मुख्यमंत्री ने फिर 10 पत्रकारों को बुलाया। इसमें पंजाब केसरी, अजीत, टाइम्स आफ इडिया, टिब्यून का पूरा प्रतिनिधित्व था। एक दिन पहले भी इन्हीं सारे अखबारों के अन्य पत्रकारों को बुलाया गया था। अब कुछ पत्रकारों को सत्ताधारी दल ने खुफियागिरी की ड्यूटी भी लगायी है। कुछ पत्रकारों को सुखबीर बादल की तरफ से तैयार प्रश्न मिल रहे हैं। ये तैयार सवाल ही मनप्रीत सिंह बादल से पूछे जा रहे है। 20 अक्तूबर को मनप्रीत सिंह बादल के प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार अकाली दल द्वारा दिए गए प्रश्नों को पूछ रहा था। मसलन पत्रकार महोदय ने मनप्रीत सिंह बादल से पूछा कि आपकी सदस्यता जा सकती है और अगर व्हिप का उल्लंघन आप करेंगे। अब पत्रकार महोदय को कौन बताए कि मनप्रीत सिंह बाद ला ग्रेजुएट हैं। लंदन से पढ़कर आए हैं। उनके पास वकीलों की भी एक फौज होगी, जो दल बदल विरोधी कानून पर उन्हें सलाह दे रहे होंगे। लेकिन पत्रकारों को क्या, अकाली दल ने बता दिया कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, वही अखबारों ने अगले दिन छाप दिया। न किसी वकील से बात की न मनप्रीत बादल से बात की। अगले दिन सवाल पूछ दिया।