सोमवार, 22 नवंबर 2010

कौन सही? हिन्‍दुस्‍तान या अमर उजाला!

देहरादून। हिन्दुस्तान और अमर उजाला के देहरादून संस्करण में 20 नवंबर 2010 को एक खबर प्रकाशित हुई है। ये खबर अजमेर ब्लास्ट के आरोपी स्वामी असीमानंद की गिरफ्तारी का है। लेकिन दोनों ही अखबारों ने अपनी-अपनी खबरों में स्वामी असीमानंद के बारे में अलग-अलग सूचनाएं दी है। अमर उजाला ने फ्रंट पेज पर असीमानंद के गिरफ्तारी की खबर देने के बाद अखबार के 9वें पेज पर ‘‘कई संतों का नजदीकी है असीमा नंद’’ के शीर्षक से एक फॉलोअप लगाया है। जिसमें उसने असीमानंद को पश्चिम बंगाल का मूल निवासी बताते हुए उनका नाम लव कुमार सरकार बताया है।

दूसरी तरफ हिन्दुस्तान ने इसी खबर को सेकेंड लीड बनाते हुए ‘‘हैदराबाद विस्फोट में असीमानंद गिरफ्तार’’ नामक शीर्षक से खबर छापी है और बताया है कि स्वामी असीमानंद उर्फ ओंकारानंद का असली नाम जतिन चटर्जी है और वह मूलतः पंश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। लेकिन यहीं हिन्दुस्तान अखबार इसी संस्करण के पेज नंबर 10 पर असीमानंद के नाम को दो बार नसीमानंद लिखा है।

अब अगर इन दोनों अखबारों ने असीमानंद के मूल निवास का आधार उनसे बरामद किसी पासपोर्ट को माना है तो उस पर तो एक ही नाम लिखा होगा। या तो उस पर लवकुमार सरकार लिखा होगा या फिर जतिन चटर्जी। यदि यह सही है तो फिर किसी एक अखबार की सूचना गलत है। अब अगर गलत सूचना देने वाला अखबार कहे कि खबर को जल्दी भेजने के चक्कर में गलत जानकारी गई तो यह असत्य होगा क्योंकि ये गिरफ्तारी शुक्रवार की अलसुबह हुई है और अखबार में खबर छपी है शनिवार को।

तो ये माना जा सकता है। संबंधित संवाददाता के पास इसकी छानबीन करने का पर्याप्त समय था। लेकिन उसने भी घर बैठे पुलिस वालों से जानकारी ली और जो भी गलत जानकारी मिली उसे खबर बना दिया। खैर मेरा उद्देश्य किसी भी अखबार की आलोचना करना नहीं है।

मैं बस इतना चाहता हूं कि ये दोनों ही अखबार अति लोकप्रिय अखबार है और दोनों की अलग अलग जानकारी से लोगों में भ्रम फैलता है, जो पत्रकारिता और आम पाठक के लिए भी हानिकारक है। अतः इन दोनों ही पत्रों से अनुरोध है कि किसी भी तरह की जानकारी को पर्याप्त चेकआउट करने के बाद ही प्रसारित करे तो बेहतर होगा।


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